उपासना मंदिर



“बहाउल्लाह ने आज्ञा दी है कि दुनिया के सभी धर्मों के लोगों के लिए एक उपासना-गृह का निर्माण किया जाए, ताकि सभी धर्मों, प्रजातियों और पंथों के लोग इसके सर्वव्यापी शरण तले एकत्रित हो सकें, ताकि पवित्रता के इसके मुक्त प्रांगण से मानवजाति की एकता की घोषणा गुंजारित हो।”



अब्दुल-बहा

बहाईयों के लिए, भक्तिपरक जीवन, प्रार्थना और ध्यान में बिताया गया समय, केवल व्यक्तिगत संतुष्टि के लिए नहीं है; यह विश्व को बेहतर बनाने के लिए अपनी आध्यात्मिक शक्तियों को क्रिया में अभिव्यक्त करने हेतु व्यक्ति और समुदाय को प्रेरित करने के लिए है।

उपासना और सेवा के अंतर्सम्बंध के दृष्टिकोण के साथ, प्रार्थना क्रिया-रूप में परिणत होती है और क्रिया आध्यात्मिकता से अनुप्राणित होती है। इस तरह, व्यावहारिक कदमों से अध्यात्म की राह पर चलना संभव होता है। पूरे भारत में, गांवों और पास-पड़ोसों में सामाजिक जीवन के एक ऐसे प्रतिमान का ताना-बाना बुना जा रहा है, जिसमें उपासना और सेवा की विशेषताओं को एक घनिष्ट सूत्र में पिरोया गया है।

कमल मन्दिर के नाम से प्रसिद्ध, नई दिल्ली का बहाई उपासना मन्दिर बहाई जीवन के इन दोनों पहलुओं – उपासना और सेवा – का संगम प्रस्तुत करता है। उपासना मन्दिर में एक केन्द्रीय प्रार्थना कक्ष है जिसके 9 द्वार धर्मों की एकता और इस विचार के प्रतीक हैं कि ईश्वर के सभी संदेशवाहकों या अवतारों की शिक्षाएं हमें एक ही सत्य की ओर ले जाती हैं। मन्दिर के चारों ओर उद्यान हैं जो आगंतुकों को अपनी भक्ति-भावना के लिए आध्यात्मिक रूप से तैयार करते हैं। यह परिकल्पना की गई है कि मन्दिर के चारों ओर अनेक उप-संस्थाओं का निर्माण किया जाएगा जो लोगों की भौतिक और शैक्षणिक आवश्यकताओं को पूरा करेंगी। मन्दिर में प्रार्थनाओं और ध्यान से उत्पन्न चेतना को सतत बढ़ती हुई संख्या में दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र तथा अन्य पड़ोसी क्षेत्रों में समुदाय-निर्माण सम्बंधी गतिविधियों से भी जोड़ा जाता है।