"ईश्वर के न्याय मन्दिर के जनों को लोगों के मामले सौंपे गए हैं। वे, वस्तुतः, ईश्वर के सेवकों के बीच उसके ’न्यासी’ हैं और उसके देशों में प्रभुसत्ता के दिवास्रोत।”
— बहाउल्लाह
विश्व न्याय मन्दिर बहाई धर्म की अंतर्राष्ट्रीय प्रशासनिक परिषद है। अपने विधानों की पुस्तक ’किताब-ए-अकदस’ में बहाउल्लाह ने इस संस्था का गठन पूर्वनिर्धारित किया था।
विश्व न्याय मन्दिर एक नौ-सदस्यीय संस्था है जिसका चुनाव प्रत्येक पांच वर्ष पर सभी राष्ट्रीय बहाई सभाओं की सम्पूर्ण सदस्यता से होता है। बहाउल्लाह ने विश्व न्याय मन्दिर को मानवजाति के कल्याण पर सकारात्मक प्रभाव डालने, शिक्षा, शांति और पूरे विश्व की समृद्धि को बढ़ावा देने, तथा मानव की प्रतिष्ठा एवं धर्म की संस्थिति की रक्षा के लिए दिव्य अधिकार प्रदान किए हैं। उसे एक सतत विकासशील मानव समाज की आवश्यकताओं के अनुरूप बहाई शिक्षाओं को लागू करने का दायित्व सौंपा गया है, और इस तरह उसे बहाई धर्म के पवित्र लेखों में स्पष्ट रूप से अभिव्यक्त न किए गए विषयों पर कानून बनाने का अधिकार प्राप्त है।
1963 में पहली बार चुने जाने के समय से ही, विश्व न्याय मन्दिर बहाई विश्व समुदाय को अपनी क्षमता का विकास करने के लिए मार्गदर्शन देता आया है ताकि वे एक समृद्ध विश्व-सभ्यता की रचना में भागीदार बन सकें। विश्व न्याय मन्दिर द्वारा प्रदत्त दिशानिर्देश बहाई समुदाय की वैचारिक और कार्यात्मक एकता सुनिश्चित करते हैं और वे बहाउल्लाह की विश्व शांति की संकल्पना को साकार करना सीखते हैं।
इस विषय का अन्वेषण:
एक अद्वितीय संस्था
सन् 1963 से बहाई विश्व समुदाय
विश्व न्याय मंदिर का कार्यालय
विश्व न्याय मंदिर के संदेशों से उद्धरण